अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी
•हिंदी नाम: अकरकरा, अकोरकरो
• मराठी नाम: अक्कलकारा, अक्किराकरम
• संस्कृत नाम: आकारकरभ, अकलल्लक
• अंग्रेज़ी नाम: Spanish Pellitory, Pellitory Root
• लैटिन नाम: Anacyclus Pyrethrum
🌿 आककरकरा कहाँ पाई जाती है:
यह पौधा मूल रूप से अरब देश या मोरक्को से व्यापारियों द्वारा भारत में लाया गया है। बरसात के दिनों में हमारे आसपास गंगुत्रा जैसे पौधे के रूप में यह दिखाई देता है। यह एक छोटा झाड़ी जैसा पौधा होता है, जो अत्यंत उपयोगी होता है।
🍃 पत्ते:
इसके पत्ते भाले के पत्ते की तरह आकार में होते हैं। साधारण और छोटे पत्तों के प्रकार में आते हैं।
🌼 फूल:
इस पौधे के फूल गंगुत्रा जैसे होते हैं — गोल आकार के, पीले रंग के और ऊपर लाल रंग का छोटा धब्बा होता है। इसके फूल का स्वाद चखने पर जीभ में झनझनाहट होती है। इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं।
🌱 जड़:
इस पौधे की जड़ें सुखाकर और सुखाने के बाद औषध में उपयोग की जाती हैं। ये लगभग 3 से 10 से.मी. लंबी, 5 से 20 से.मी. मोटी होती हैं, ऊपर से झुर्रियों जैसी और अंदर से सफेद रंग की होती हैं। फूल और जड़ दोनों का औषधीय उपयोग किया जाता है।
💊 अक्कलकारा के औषधीय उपयोग:
• इस पौधे के पंचांग (जड़, तना, पत्ते, फूल और बीज) का औषध में उपयोग होता है।
• दांत दर्द:
यदि दांत में दर्द हो तो इसके फूल चबाने से दर्द में तुरंत आराम मिलता है। इसमें वेदनाशामक और कीटाणुनाशक गुण होते हैं। इस कारण इसे दंतमंजन बनाने में भी उपयोग किया जाता है।
इसके फूल, पत्ते, जड़, तना और बीज का चूर्ण बनाकर उसमें फिटकरी और लौंग मिलाकर दंतमंजन तैयार किया जाता है — यह दांतों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
• तोतलापन (हकलाना):
यदि कोई बच्चा या व्यक्ति तोतला बोलता है तो अक्कलकारा की जड़ और फूल का चूर्ण लेकर उसमें काली मिर्च बराबर मात्रा में मिलाएं, और मधु (शहद) के साथ रोज सेवन करें। 3-4 हफ्तों में सुधार होता है।
• मुख या चेहरा लकवा:
अक्कलकारा की जड़ का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से लकवा में लाभ होता है। जड़ को चबाने से भी फायदा होता है।
• रक्त शुद्धिकरण:
अक्कलकारा का काढ़ा बनाकर पीने से रक्त शुद्ध होता है।
• गले का दर्द:
पत्ते और फूलों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के दर्द में आराम मिलता है।
• पुरुषों के लिए टॉनिक:
यदि पुरुष में वीर्य (धातु) की कमी या कमजोरी हो तो अक्कलकारा की जड़, सफेद मुसली और अश्वगंधा बराबर मात्रा में लेकर पेस्ट बनाएं। सुबह-शाम एक-एक चम्मच लेने से शरीर बलवान होता है और धातु में वृद्धि होती है।
• महिलाओं की मासिक समस्या:
मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव या दर्द होने पर अक्कलकारा की जड़ व फूल का चूर्ण हिंग के साथ मिलाकर काढ़ा बनाएं और पीएं। इससे मासिक कष्ट में राहत मिलती है।
• संधि (जोड़ों) और स्नायुओं का दर्द:
यदि शरीर में सूजन, मांसपेशियों में दर्द या हड्डियों में दर्द हो तो अक्कलकारा की पत्तियां और फूल पीसकर लगाने से सूजन और दर्द दोनों कम होते हैं।
• बुद्धिवर्धक टॉनिक:
अक्कलकारा आधा चम्मच और ब्राह्मी पाउडर आधा चम्मच लेकर मधु में मिलाकर रोज सेवन करने से बुद्धि बढ़ती है, स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है और श्रवण शक्ति मजबूत होती है।
• खाद्य उपयोग:
महाराष्ट्र में इस पौधे की डंडियों का अचार बनाया जाता है और इसकी पत्तियों की भाजी भी बनाते हैं।
• स्वाद और प्रभाव:
जीभ पर लगते ही झनझनाहट महसूस होती है, स्वाद पहले तीखा फिर कड़वा लगता है, और लार अधिक बनने लगती है।
🌿 इस प्रकार अक्कलकारा एक अत्यंत उपयोगी और औषधीय गुणों से भरपूर आयुर्वेदिक पौधा है।





