बुधवार, १२ नोव्हेंबर, २०२५

अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi

 अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी

Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi

अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी  Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi


• मराठी नाम: अंबाडी, अंबाडा

• हिंदी नाम: अंबारी, मोइया

• संस्कृत नाम: अन्वष्टा

• अंग्रेज़ी नाम: Roselle (रोज़ेल)

अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी  Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi


🌿 सामान्य परिचय :

यह एक कृषि वर्ग की वनस्पति है, जिसे खेतों में उगाया जाता है। इसे सब्जी के रूप में खाया जाता है और इसके तनों से रेशे निकालकर रस्सी व बोरियों के धागे बनाए जाते हैं।

🌿 पत्तियाँ :

इसके पत्ते साधारण प्रकार के होते हैं। पत्तियों के ऊपरी भाग पर दाँतों जैसे किनारे होते हैं। ये शहतूत (तूत) के पत्तों जैसी दिखाई देती हैं। इन्हीं पत्तियों को भोजन में सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है।

अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी  Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi


🌸 फूल :

अंबाडी के फूल पीले रंग के होते हैं और आकार में जास्वंद (हिबिस्कस) के फूल जैसे दिखते हैं।

🌰 फल :

फूल झड़ने के बाद उसके स्थान पर छोटे-छोटे बोंडे (फली) बनते हैं। इन बोंडों पर बारीक नुकीले रोम होते हैं, जिन्हें छूने पर खुरदुरापन महसूस होता है।

🌱 बीज :

अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी  Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi


जब बोंडे पक जाते हैं, तब उनके अंदर छोटे, काले, त्रिकोण आकार के बीज बनते हैं। इन्हीं बीजों से इस पौधे की पुनः उत्पत्ति होती है।

🌿 अंबाडी के पत्तों में पाए जाने वाले पोषक तत्व :

अंबाडी के पत्तों में आयरन, विटामिन A, B6, C, कैल्शियम, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं।

💊 अंबाडी सब्जी के औषधीय लाभ :

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने में सहायक।

शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके रक्तचाप नियंत्रित रखती है और वजन घटाने में मदद करती है।

इसमें मौजूद आयरन और जिंक आँखों की रोशनी बढ़ाने और बालों की वृद्धि में सहायक होते हैं।

सेल्यूलोज की मात्रा होने से पाचन क्रिया को सुचारू रखती है।

पेशाब करते समय जलन को कम करती है।

कैल्शियम की उपस्थिति से हड्डियों को मजबूत बनाती है।

विटामिन C की अधिकता से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है और श्वेत रक्त कणों (WBC) की वृद्धि करती है।

⚠️ अंबाडी पौधे के नुकसान :

अंबाडी के पत्तों में ऑक्सेलिक एसिड होता है, इसलिए जिन लोगों को किडनी स्टोन (पथरी) की समस्या है, उन्हें इसका सेवन कम करना चाहिए।

इसकी खट्टी स्वाद और एसिडिक प्रकृति के कारण पित्त विकार बढ़ सकते हैं। इसलिए पित्त से पीड़ित लोगों को इसे नहीं खाना चाहिए।

इसे पकाते समय स्टील या नॉन-स्टिक बर्तनों में ही पकाना चाहिए।

तांबे या पीतल के बर्तनों में पकाने से रासायनिक प्रतिक्रिया होकर भोजन खराब हो सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

अंबाडी / अंबाडा वनस्पती की आयुर्वेदिक जानकारी  Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi


🌿 इस प्रकार अंबाडी / अंबाडा पौधा औषधीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है, परंतु इसका सेवन उचित मात्रा में ही करना चाहिए।

Ambadi / Ambada Ayurvedic Information in Hindi

सोमवार, १० नोव्हेंबर, २०२५

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी

 अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी


हिंदी नाम: अकरकरा, अकोरकरो

• मराठी नाम: अक्कलकारा, अक्किराकरम

• संस्कृत नाम: आकारकरभ, अकलल्लक

• अंग्रेज़ी नाम: Spanish Pellitory, Pellitory Root

• लैटिन नाम: Anacyclus Pyrethrum

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी


🌿 आककरकरा कहाँ पाई जाती है:

यह पौधा मूल रूप से अरब देश या मोरक्को से व्यापारियों द्वारा भारत में लाया गया है। बरसात के दिनों में हमारे आसपास गंगुत्रा जैसे पौधे के रूप में यह दिखाई देता है। यह एक छोटा झाड़ी जैसा पौधा होता है, जो अत्यंत उपयोगी होता है।

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी


🍃 पत्ते:

इसके पत्ते भाले के पत्ते की तरह आकार में होते हैं। साधारण और छोटे पत्तों के प्रकार में आते हैं।

🌼 फूल:

इस पौधे के फूल गंगुत्रा जैसे होते हैं — गोल आकार के, पीले रंग के और ऊपर लाल रंग का छोटा धब्बा होता है। इसके फूल का स्वाद चखने पर जीभ में झनझनाहट होती है। इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं।

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी


🌱 जड़:

इस पौधे की जड़ें सुखाकर और सुखाने के बाद औषध में उपयोग की जाती हैं। ये लगभग 3 से 10 से.मी. लंबी, 5 से 20 से.मी. मोटी होती हैं, ऊपर से झुर्रियों जैसी और अंदर से सफेद रंग की होती हैं। फूल और जड़ दोनों का औषधीय उपयोग किया जाता है।

💊 अक्कलकारा के औषधीय उपयोग:

• इस पौधे के पंचांग (जड़, तना, पत्ते, फूल और बीज) का औषध में उपयोग होता है।

दांत दर्द:

यदि दांत में दर्द हो तो इसके फूल चबाने से दर्द में तुरंत आराम मिलता है। इसमें वेदनाशामक और कीटाणुनाशक गुण होते हैं। इस कारण इसे दंतमंजन बनाने में भी उपयोग किया जाता है।

इसके फूल, पत्ते, जड़, तना और बीज का चूर्ण बनाकर उसमें फिटकरी और लौंग मिलाकर दंतमंजन तैयार किया जाता है — यह दांतों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

तोतलापन (हकलाना):

यदि कोई बच्चा या व्यक्ति तोतला बोलता है तो अक्कलकारा की जड़ और फूल का चूर्ण लेकर उसमें काली मिर्च बराबर मात्रा में मिलाएं, और मधु (शहद) के साथ रोज सेवन करें। 3-4 हफ्तों में सुधार होता है।

मुख या चेहरा लकवा:

अक्कलकारा की जड़ का चूर्ण सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से लकवा में लाभ होता है। जड़ को चबाने से भी फायदा होता है।

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी


रक्त शुद्धिकरण:

अक्कलकारा का काढ़ा बनाकर पीने से रक्त शुद्ध होता है।

गले का दर्द:

पत्ते और फूलों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के दर्द में आराम मिलता है।

पुरुषों के लिए टॉनिक:

यदि पुरुष में वीर्य (धातु) की कमी या कमजोरी हो तो अक्कलकारा की जड़, सफेद मुसली और अश्वगंधा बराबर मात्रा में लेकर पेस्ट बनाएं। सुबह-शाम एक-एक चम्मच लेने से शरीर बलवान होता है और धातु में वृद्धि होती है।

महिलाओं की मासिक समस्या:

मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव या दर्द होने पर अक्कलकारा की जड़ व फूल का चूर्ण हिंग के साथ मिलाकर काढ़ा बनाएं और पीएं। इससे मासिक कष्ट में राहत मिलती है।

• संधि (जोड़ों) और स्नायुओं का दर्द:

यदि शरीर में सूजन, मांसपेशियों में दर्द या हड्डियों में दर्द हो तो अक्कलकारा की पत्तियां और फूल पीसकर लगाने से सूजन और दर्द दोनों कम होते हैं।

बुद्धिवर्धक टॉनिक:

अक्कलकारा आधा चम्मच और ब्राह्मी पाउडर आधा चम्मच लेकर मधु में मिलाकर रोज सेवन करने से बुद्धि बढ़ती है, स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है और श्रवण शक्ति मजबूत होती है।

खाद्य उपयोग:

महाराष्ट्र में इस पौधे की डंडियों का अचार बनाया जाता है और इसकी पत्तियों की भाजी भी बनाते हैं।

स्वाद और प्रभाव:

जीभ पर लगते ही झनझनाहट महसूस होती है, स्वाद पहले तीखा फिर कड़वा लगता है, और लार अधिक बनने लगती है।

अक्कलकारा (Akkarkara) आयुर्वेदिक औषधीय पौधे की जानकारी


🌿 इस प्रकार अक्कलकारा एक अत्यंत उपयोगी और औषधीय गुणों से भरपूर आयुर्वेदिक पौधा है।


Spanish Pellitory, Pellitory Root/Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English

 Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English 

Spanish Pellitory, Pellitory Root/Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English
Spanish Pellitory, Pellitory Root


• Hindi Name: Akarkara, Akorkaro

• Marathi Name: Akkalkara, Akkirakaram

• Sanskrit Name: Aakarakarbha, Akalallaka

• English Name: Spanish Pellitory, Pellitory Root

• Latin Name: Anacyclus Pyrethrum

🌿 Habitat and Distribution:

This plant originally came to India through traders from Arab countries or Morocco. During the rainy season, a similar plant called Gangutra is seen around us — Akkalkara resembles it. It is a small shrub-like herb that is extremely useful and medicinal.

🍃 Leaves:

The leaves of this plant are lance-shaped (spear-like) and simple in form.

Spanish Pellitory, Pellitory Root/Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English


🌼 Flowers:

The flowers resemble those of Gangutra. They are round, yellow, and have a small red spot on top. When chewed, they cause a tingling sensation on the tongue, indicating the presence of medicinal properties.

🌱 Root:

The roots are harvested, dried, and used medicinally. They are 3 to 10 cm long, 5 to 20 mm thick, wrinkled on the outer surface, and whitish inside. The flowers and roots are mainly used for Ayurvedic preparations.

Spanish Pellitory, Pellitory Root/Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English


💊 Medicinal Uses of Akkalkara:

• All parts of the plant — root, stem, leaves, flowers, and seeds — are used in Ayurvedic medicine.

Toothache:

If there is tooth pain, chewing the flowers of this plant continuously helps relieve the pain due to its analgesic and germicidal properties. It also purifies the mouth. The plant is used in making herbal tooth powder (dant manjan).

The powdered mix of flowers, leaves, root, stem, and seeds combined with alum and clove is used as a tooth powder, beneficial for dental health.

Stammering (Speech Disorder):

For those who stammer, or for children who speak with stammering, mix powdered Akkalkara root and flowers with black pepper in equal proportion. Take this powder daily with honey for 3 to 4 weeks — it helps reduce stammering and improves speech.

Facial Paralysis (Mouth Paralysis):

Mix powdered Akkalkara roots with mustard oil and massage the affected area. It helps in recovery from paralysis. Chewing the roots also provides relief.

Spanish Pellitory, Pellitory Root/Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English


Blood Purification:

Drinking a decoction (herbal extract) made from Akkalkara purifies the blood and improves skin health.

Sore Throat:

A decoction made from the leaves and flowers can be used for gargling to relieve throat pain and inflammation.

Male Vitality and Strength:

If there is a lack of semen or weakness in men, mix Akkalkara root powder, Safed Musli, and Ashwagandha in equal quantities. Take one teaspoon of this mixture morning and evening daily. It improves semen quality, increases strength, and enhances stamina.

Women’s Menstrual Problems:

If a woman suffers from excessive bleeding or pain during menstruation, make a decoction using Akkalkara root and flower powder with Hing (asafoetida). Drinking this helps reduce menstrual pain and irregularity.

• Joint Pain, Sciatica, and Inflammation:

If there is body pain, swelling in muscles, or joint stiffness, applying a paste made from the leaves and flowers of Akkalkara on the affected area reduces inflammation and pain.

Brain and Memory Booster:

Akkalkara acts as a brain tonic. Mix half a teaspoon of Akkalkara powder and half a teaspoon of Brahmi powder with honey. Take it daily on an empty stomach or before bedtime. It improves intelligence, sharpens memory, and enhances hearing power.

Culinary Uses:

In Maharashtra, the stems of this plant are used to make pickles, and its leaves are used as a vegetable dish.

Taste and Effect:

When it touches the tongue, it causes a tingling sensation. The taste is initially pungent and later bitter. It also stimulates saliva secretion.

Spanish Pellitory, Pellitory Root/Akkalkara Ayurvedic Medicinal Plant Information English


🌿 Thus, Akkalkara is a highly valuable Ayurvedic herb known for its wide range of medicinal properties and health benefits.


सोमवार, ३ नोव्हेंबर, २०२५

दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग Benefit of cinnamon

 दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग
Benefit of cinnamon
दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग  Benefit of cinnamon


• मराठी नाव : दालचीनी

• संस्कृत नाव : त्वाक,

• English name: cinnamon,

• शास्त्रीय नाव: cinnamomum verum.

• हे एक सदाहरित झुडूप आहे.

• उंची : १५ मिटर पर्यंत हे झाड वाढू शकते.


• झाडाचे प्रकार :

१) Ceylon cinnamon २) cassia cinnamon,

• Ceylon या दालचीनीचा वापर जास्त प्रमाणात आयुर्वेदात केला जातो. Cassia या दालचीनी मध्ये क्युमेरिक नावाचा घटक असतो. त्याचे अती सेवन चांगले नसते.

दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग  Benefit of cinnamon



• दालचिनी कशी तयार करतात?

दालचिनी ही सिन्यामन झाडाची साल असते. देठ कापून आतील लाकूड भाग कापला जातो. व् सालीच्या लहान पट्या काढल्या जातात. ज्या सुकवल्यास साध्या खापरी सारख्या दिसतात. त्याचा वापर किंवा त्याच्या चूर्णाचा वापर केला जातो.

• पाने : याची पाने देखील औषधी असतात. त्यांचा वापर मसाल्यात केला जातो. तमालपत्र असे संबोधले जाते .

• चव: तिखट गोड,

दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग  Benefit of cinnamon



• दालचीनी मध्ये असणारे घटक:

दालचीनी मध्ये प्रोटीन, थायमिन, कार्बोहायड्रेट्स, सोडियम, फॉस्फरस, नियासिन, पोटॅशियम, अ व क जीवनसत्त्व असते

• तसेच

२.४ %कार्बन, ६.४%कोलेस्टेरॉल, १.४%फायबर, ०%फॅट, ०.१९%प्रोटीन्स असतात.

* गुणधर्म : दालचीनी ही तिखट गोड,पाचक, मुत्रक, दिपन, स्तंभक, कफनाशक, यकृत कार्य सुधारक, मनःस्वास्थ्यक, स्मरण शक्ती वाढवणारी आहे.


• दालचीनीचे औषधी महत्त्व:

दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग  Benefit of cinnamon


• दालचीनी मध्ये अँटी ऑक्साइडंट घटक असतात. त्यामुळे हल्ली वातावरणीय प्रदूषण व त्यामुळे शरीरात घुसलेली प्रदुषक अपाय कारक घटक शरीराच्या बाहेर काढून टाकण्याचे काम दालचीनी करते. यात ती इतर औषधात प्रथम क्रमांकावर आहे.म्हणून ती आहारात असणे गरजेचे आहे.

• वजन कमी करणारी असल्याने डायझेशन मध्ये दालचीनीचा वापर केला जातो.

• शरीरात वाढलेले बॅड कोलेस्टेरॉल कमी करण्यासाठी तसेच गुड कोलेस्टेरॉल वाढवण्याचे काम दालचीनी करते. त्यामुळे हृदयविकाराचा धोका कमी होतो. तसेच हृदयाची ताकद वाढवते. ब्लडप्रेशर नियंत्रित ठेवते.

• शरीरातील साखर व ग्लुकोज पेशींना पुरवठा करणाऱ्या इन्सुलिनचे कार्य सुधारून हे इन्सुलिनची ताकद वाढवण्याचे काम दालचीनी करते. वाढलेले इन्सुलिन कमी तर कमी झालेले वाढवण्याचे काम दालचीनी करते.

• रक्तातील वाढलेली साखर नियंत्रित ठेवण्यासाठी उपाशी पोटी दालचीनी घातलेले पाणी पिणे आरोग्यासाठी लाभदायक असते. तसेच साखर वाढल्यास जेवणानंतर देखील दालचिनी घातलेले पाणी पिणे लाभदायक असते. ती रक्तातील साखरेचे प्रमाण कमी करुन नियंत्रित करते. रोज घेतल्यास शुगर कमी होते. तसेच रक्तात असणारी साखर पेशी पर्यंत पोहोचवते.

• मेंदूतील कार्य बिघाड होऊन अल्झायमरचा त्रास सुरू होतो. त्यामध्ये सुधारणा करण्यासाठी दालचीनी घेणे लाभकारी असते. वेदनाशामक,तणावग्रस्त स्नायू, डोकेदुखी बरी करण्यासाठी दालचीनी खाणे चांगले असते. न्युरोप्रोटेक्टीव्ह गुणधर्म असल्याने मायग्रेन म्हणजे स्मृती विस्मरण दोष कमी करण्यास मदत करणारी दालचीनी खाणे फायद्याचे असते.

• कॅन्सर रोगात त्याच्या रोगकारक पेशी कमी करण्याचे काम दालचीनी करते.

• ब्याक्टेरिया मुळे झालेले फंगल इन्फेक्शन ,तसेच शरीरात झालेले इन्फेक्शन कमी करणारे घटक दालचीनी मध्ये असतात.पोटात एखादे इन्फेक्शन झाल्यास दालचीनी खाणे लाभदायी ठरते. Hiv सारख्या रोगात देखील दालचीनी प्रभावी असते.

• त्वचेचे आरोग्य सुधारण्याचे काम दालचीनी करते.

• दात दुःखी असेल तर दालचीनी पासून तयार केलेले तेल घ्या व त्यामध्ये कापसाचा बोळा बुडवून दुखर्या दातावर ठेवल्यास वेदना कमी होतात.

• मुख दुर्गंधी असेल तर दालचीनी चघळल्यास ती कमी होते.

• शरीरातील वेदना सूज, इन्फेक्शन, कमी करण्यासाठी दालचीनी वापरता. दालचीनी पाण्यात टाकून उकळून ते पाणी पितात.


• स्त्री रोग : महिलांच्या अंगावरून जाणे, गर्भाशय बिघाड दुरुस्ती तसेच बाळंतपण झाल्यानंतर गर्भाशय संकोच करून लवकर गर्भ धारणा होऊ नये म्हणून, तसेच दूध येण्यासाठी दालचीनी खाणे लाभदायक असते. लवकर गर्भ धरू नये म्हणून प्रसूती झाल्यावर महिनाभर दालचीनी खावावी.रोज एक तुकडा चगळावा.

• चेहऱ्यावर मोड्या येणे यासाठी आपण दालचिनीचे चूर्ण घेवून ते लिंबू रस घालून चेहऱ्यावर लावावे मोडया (मुरुमे) कमी येतात.

• थंडीच्या दिवसात डोकेदुखी झालेली असेल तर दालचीनी वाटून त्याचा लेप लावावा.

दालचीनी या वनस्पतीची माहिती व औषधी उपयोग  Benefit of cinnamon


• दालचीनी आहारात कशी घ्यावी?

• रोज सकाळी दालचीनी पावडर पाण्यात टाकून ते पाणी उकळून प्यावे.

• लिंबू रस व दालचीनी पावडर तोंडाला लावून चेहर्याचे आरोग्य सुधारता येते.

• रोजच्या आहारात आपण मसाला म्हणून दालचीनी वापर करतो.

• दालचीनी वाटून लेप करून डोक्याला लावता येते.



• दालचीनी कोणी खावू नये?

• उष्ण गुणधर्म असलेल्या व्यक्तीने उन्हाळ्यात दालचिनी मर्यादित खावी.

• पित्त विकार वाढू शकतो.

• उष्ण प्रकृती असलेल्या व्यक्तींनी डॉकटरच्या सल्याने दालचीनी खावावी.

• असी आहेत 

दालचीनी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक माहिती Benefit of cinnamon


शुक्रवार, २९ नोव्हेंबर, २०२४

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari

 चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी

Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी  Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari


• हिंदी नाम : चींचुर्डे,

• मराठी नाम : चींचुरडी,

• वनस्पती प्रकार : 

यह एक पौधा है lबारिश के दिनो मे उगने वाला, बेंगन की तरह दिखने वाला, इसके पत्ते भी बेंगन की तरह ही है l यह हमारे आस पास के नदी के राह के अगल - बगल उगने वाला तथा पहाडी पर उगने वाला एक पौधा है l जून महिने से यह उगने शुरु होता है l और ऑगस्ट से नव्हंबर तक इसे फुल, फल लगते है l

• कद: 

 इस वनस्पती का कद चार या पाच फूट उंचा इसका कद होता है l

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी  Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari


• पत्ते :

 बेंगन के पौधे की तरह इसके पत्ते होते है l

• फल: इस वनस्पती के फल नन्हे टमाटर की तरह दिखते है l इनकी सब्जी बनाकर खाते है| पकने पर पिले हो जाते है l इनका स्वाद कडवा होता है l

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी  Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari


चींचुर्डी के बारे मे आयुर्वेदीक जाणकारी :

• चींचूर्डी के फल पित्त शामक होते हैl इस कारण जिन्हे पित्त के विकार होते है l वह लोग अगर इसकी सब्जी बनाकर खाते है l तो उनका पित्त विकार नियंत्रण मे रहता है l

• पित्त के साथ वेदनाशामक गुणधर्म इन फल मे होणे के कारण कमर दर्द होणे वाले लोगोंको इसका इस्तेमाल करना चाहिए कमर दर्द से राहत देता है l

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी  Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari


• जीन लोगों को कफ, वात, पित्त विकार है l उन लोगो के लिये रामबाण है यह चींचूर्डी के फल की सब्जीl उन्हे इसे खाना लाभकारी है l

• पेट साफ न होणा, इस समस्या का उपाय है यह चींचूर्डी की सब्जी l

• भूक अगर न लगती हो तो यह चींचुर्डी खाना लाभकारी है l


महत्त्व पुर्ण जाणकारी :

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी  Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari
भुईरिंगणी एक जहरीला पौधा

चींचूरडी /चिंचुर्डी आयुर्वेदीक औषधी वनस्पती की जाणकारी  Chinchurdi ayurvedik vanaspati ke bare me jankari
रिंगणी एक जहरीला पौधा 


• चींचुर्डी के तरह भुई रिंगनी और रिंगनी का पौधा होता है l उसके पत्ते भी इस तरह होते है l लेकीन उसके फल हरे बेंगन की तरह होते है l लेकीन यह जहरीले पेड है l इसका सेवन अपनी सेहत के लिये हानिकारक है l


रविवार, २४ नोव्हेंबर, २०२४

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti

 चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती

Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti


• मराठी नाव : चिंचूर्डी


• वनस्पती प्रकार : 

ही एक रान वनस्पती असून ती कुठेही पहाडी भागात अथवा नदीकाठी रस्त्याच्या कडेला आढळते. हे एक रोपवर्गीय झाड आहे. पावसाळी दिवसात हे उगवते दोन ते चार फूट उंच असते. ऑगस्ट ते नोव्हेंबर मध्ये यांना फळे लागतात.

• पाने : 

या वनस्पतीची पाने वांग्याच्या झाडासारखी असतात. त्या प्रमाणेच काटे असून मधून बारीक जांभळी शेड असते.

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti


• फुले : 

लहान आकाराची वांग्याच्या झाडासारखी फुले येतात.

• फळे : 

लहान टोमॅटो किंवा कांगुण्यासारखी हिरवट फळे असून त्यावर हिरवे देठ असतात. ती एके जागी चार ते पाच या संख्येत असतात. यांची चव कडवट असून त्यांची कोवळी कोवळी फळे काढून भाजी केली जाते. पिकल्यावर ही फळे पिवळ्या रंगाची दिसतात.

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti


• चींचुर्डी(चिंचूरडे) फळांचे आयुर्वेदिक औषधी महत्त्व :


• चिंचूर्डीची फळे पित्त शामक असतात. पित्त विकार असलेल्या लोकांनी या झाडाची फळे भाजी करून खाल्यास पित्त विकार कमी होण्यासाठी मदत करतात. सुरवातीस कडू नंतर गोडसर चव लागते.

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti


• वेदना शामक गुणधर्म या फळात असल्याने कंबरदुखीसाठी देखील या फळांची भाजी खाल्ली जाते.

• कफ, पित्त व वात दोष असणाऱ्या लोकांसाठी या फळांची भाजी उपयुक्त असते.

• पोट साफ होण्यासाठी मदत करते.

• भूक लागत नसेल तर भूक वाढवण्याचे काम चिचुरडे करते.

• महत्त्वाची सूचना :

चिंचुर्डे सारखी रिंगणी किंवा भुई रिंगणी असते. तिची पाने देखिल याच पानासारखी मात्र थोडी आकाराने मोठी असतात. त्याची फळे लहान वांग्यासारखी असतात. ही विषारी आहे. ती खावू नये.

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti
विषारी भुईरिंगणी

चिंचूर्डी वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Chinchurdi vanspati vishyi ayurvedik mahiti
विषारी रिंगणी

  • वरील दोन्ही झाडे व फळे चींचुर्डी सारखी दिसतात. पण विषारी आहेत. खावू नयेत.

शुक्रवार, १५ नोव्हेंबर, २०२४

कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti

 कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती

Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti

कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti


• मराठी नाव : कुडा,

• हिंदी नाव : दुधा, कुर्या,

• संस्कृत नाव : कुटज,

• काश्मिरी नाव : कोर,

• बंगाली नाव : कुर्ची,

• गुजराती नाव : कडो,

• तमिळ भाषेतील नाव : कुटचप्पालै,

• इंग्रजी नाव : Holarrhena Pubescence,

• वनस्पती शास्त्रीय नाव : Holarrhena antidysentarica,

• कुळ : करवीर,


कुडा वनस्पतीच्या जाती :

१)पांढरा कुडा, २) काळा कुडा, पांडू कुडा ३) तांबडा कुडा,

कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti


• वनस्पती प्रकार : 

ही एक झुडूप वर्गीय वनस्पती आहे.

• पाने : 

या झाडाची पाने साधे पान या प्रकारात मोडतात.


• फुले : 

या झाडास पांढरट रंगाची फुले येतात. स्वस्तिक, तगर किंवा मोगर्याच्या फुलासारखी दिसतात. सुगंधी असतात.


• फळे : 

या झाडाला चवळी सारख्या शेंगा लागतात. त्यामधे बिया असतात.

कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti


• बिया : 

फळात असणाऱ्या लहान बिया दिसायला जवाच्या बियांसारख्या असतात. त्यांना इंद्रजव म्हणून ओळखतात. याची चव थोडी कडू, तुरट चवीच्या बिया असतात. या बियांचा विशेषत आयुर्वेदिक औषधात वापर केला जातो.


• मुळे :

 वाकडी तिकडी उदाच्या रंगाची याची मूळे असतात.

• साल : 

या झाडाच्या सालीचा उपयोग हा विशेषत आयुर्वेदिक औषधात वापरतात.



कुडा वनस्पतीचे आयुर्वेदिक औषधी महत्त्व:


• कुडा वनस्पती दीपक स्तंभ असल्याने ताप, ज्वर कमी करणारी असल्याने एखाद्या व्यक्तीस ताप आला असेल. तर कुडा वनस्पतीच्या सालीचा काढा करून दिल्यास ताप कमी होण्यासाठी मदत होते. कुडाच्या सालीचे चुर्ण घेत राहिल्यास हिवताप होत नाही.

• कुडा वेदना शामक आहे, सांधे दुखी असेल, जॉइंट पेन म्हणजेच हाडांच्या जोडातील दुखणे असेल, तसेच आमवाताचा त्रास होत असेल तर कुडा वनस्पतीची साल काढून ती सावलीत वाळवा, सुंठ व हिरडा चुर्ण घेवून सकाळ संध्याकाळ सलग तीन महिने घेत राहिल्यास सांधे दुखी विकार कमी होण्यासाठी मदत होते.

• अतिसार म्हणजेच हगवण असेल तर कुडाच्या सालीचे चूर्ण सकाळ संध्याकाळ एक चमचा घेतं राहिल्यास अतिसार समस्या कमी होण्यास मदत होते.

• दात दुखी झालेली असेल तर कुडाच्या सालीचा काढा करून त्या पाण्याने गुळण्या केल्यास दात दुखी थांबते.

• क्षार धर्मीय , अल्कोहोल असणाऱ्या तसेच पाण्यात कुडा वनस्पतीचे चूर्ण सहज मिसळते. जर पाण्यात आम्ल प्रमाण जास्त प्रमाणात असेल तर कुडा वनस्पतीचे चुर्ण जास्त प्रमाणात मिसळते, विरघळते.

• कुडा वनस्पतीची साल व बिया रक्त संग्राहक व वेदनाशामक आहेत. यामुळे शरीरात कोणत्याही प्रकारच्या वेदना किंवा कळा येत असतील तर त्यावर कुडा वनस्पतीची साल उपयुक्त आहे. रक्त वाढवणारी आहे.

कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti


• रक्ती मूळव्याध असेल तर कुडा वनस्पतीच्या शेंगातील बिया ज्यांना इंद्रजव म्हणतात या बियांचे भाजून केलेले चुर्ण चवीला थोडे कडवट - असते. त्याचे चिमुटभर चूर्ण सेवन केल्यास रक्ती आव, मूळव्याधीवर ती प्रभावी औषधी आहे. त्यामुळे ती बरी होण्यास मदत होते. तसेच कुडाच्या पानांच्या विड्या ओढल्याने किंवा इंद्रजव चूर्ण रोज खाल्याने मूळव्याध बरा होतो. रक्त येणे देखील बंद होते.

• इंद्रजवाच्या सेवनाने पोटात वायू धरत नाही. व भुख ही खूप लागते. पोटात वेदना असतील पोटशूळ असेल तर कमी होण्यासाठी बेंबी भोवती इंद्रजवाचे तेल चोळावे. आराम मिळतो.

• कुडाच्या कोवळ्या शेंगा घेवून त्यांची भाजी करून खाल्यास पोटातील जंत नष्ट होण्यास मदत होते.

कुडा वनस्पतीविषयी आयुर्वेदिक औषधी माहिती  Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti


• उलटी होत असेल तर इंद्रजवाचा काढा करून त्याच्या सेवनाने उलटी थांबण्यास मदत होते.

• दात दुखी असेल तर कुडाच्या सालीचा काढा करून घेऊन गुळण्या कराव्यात. तसेच हिर्डीतून रक्त येत असेल. मुखदुर्गंधी यावर इंद्रजवाचे चूर्ण चोळावे. हिरड्या घट्ट होतात. व मुखदुर्गंधी दूर होते.

• जुनाट दमा असेल तसेच फुफुसा संबंधी आजारावर इंद्रजव चूर्ण उपयोगी असते.

• कुटजारिस्ट औषध हे कुडा वनस्पती पासून बनवले जाते. जे वरील सर्व रोगांवर उपयुक्त आहे. हे पांढरा कुडा वनस्पती पासून बनवले जाते.


टीप : 

कुडा वनस्पती चे औषधी उपयोग करताना आयुर्वेदीक डॉक्टरांच्या सल्ल्यानुसार औषधी घेणे फायद्याचे असते.

•अशी आहे कुडा वनस्पती विषयी आयुर्वेदिक माहिती Kuda vanaspati vishyi ayurvedic mahiti 


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